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Original Stories By Author (62): LO NA

This is a collection of Original Creation by Nilesh Mishra

कहानी 62: लो न
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"जी बिलकुल सर, आप अपने नजदीकी ठेठ बैंक ऑफ इंडिया की शाखा में जाइये आपका काम आसानी से हो जाएगा।" ग्राहक सेवा अधिकारी की इतनी मधुर आवाज सुनकर दौडूराम का मन प्रसन्न हो गया। 
"लोग फर्जी में सरकारी बैंकों को गरियाते हैं, तकनीक के इस जमाने मे बैंक भी बदल रहे है।" ऐसी नेक सोच लिए दौडूराम ठेठ बैंक की निकटतम शाखा में जा पहुंचे। वहां पहुंचते ही रिसेप्शन पर कलात्मक ढंग से लोगों को गोली देती हुई मैडम जी से उन्होंने होम लोन के बारे में जानकारी मांगी।
"क्या करते है आप"
"जी मैं बिजली विभाग में JE हूँ पिछले 11 महीने से और उसके पहले जल निगम में टेक्नीशियन था 4 साल तक।"
"अरे वाह आप सरकारी कर्मचारी हैं, आप वो काउंटर नम्बर 4 वाले शुक्ला जी से मिल लीजिये, सरकारी कर्मचारियों के लिए हमारे पास बेगतरीन स्कीम है"
दौडूराम पहुंच गए काउंटर नम्बर 4 जहां उन्हें म्युचुअल फंड की स्कीम में खाता खुलवा के काउंटर नम्बर 5 वाले वर्मा जी के पास भेज दिया गया जहाँ उन्हें क्रेडिट कार्ड के नाना प्रकार के फायदे गिनवा के ग्लोबल मास्टर क्रेडिट कार्ड भी दिलवा दिया गया। येन केन प्रकरेण उन्हें लोन ऑफिसर के पास पहुंचने में सफलता प्राप्त हुई। 
"हां जी फरमाइए"
"जी 5 लाख का होम लोन चाहिए घर की मरम्मत करवाने के लिए"
"अरे कहाँ आप भी इतने बड़े अधिकारी हो के 5 लाख का लोन ले रहे हैं"
"भाई साहब टैक्स बचाने के लिए मुख्य रूप से ले रहा हूँ बाकी आप तो जानते ही है सरकारी आदमी के पास कहाँ पैसा बचता है"
"हम्म"
लोन ऑफिसर का ये छोटा सा हम्म दौडूराम को 2 महीना लम्बा पड़ गया क्योंकि आधार पैन में नाम same करवाने, और तमाम डाक्यूमेंट्स arrange करने, बैंक प्रोसेसिंग और Site वेरिफिकेशन करने में इतना वक्त तो भइया लगता ही है। अत्यंत आशा भरे भाव से जब वो फिर लोन ऑफिसर के पास पहुंचे तो चाय पिलाने के बाद बड़ी नम्रता से उसने घर के आगे की गली 19.5 फिट होने के कारण दौडूराम को लोन रिजेक्ट होने का समाचार दिया क्योंकि बैंक की नीति के अनुसार 20 फिट की अनिवार्यता थी। 
दौडूराम ने .5 फिट कागज में बढ़वाने के लिए साम दाम दोनों का प्रयोग किया किंतु विफल रहा । 
"अच्छा पर्सनल लोन मिल जाएगा"
"नही सर आपकी वर्तमान नौकरी को 2 साल पूरे नही हुए हैं।"
"मुद्रा लोन"
"वो चाय और पकौड़ी बेचने वालों के लिए है"
"भाई साहब पैसों की सख्त आवश्यकता है क्योंकि निर्माण कार्य शुरू हो चुका है"
"फिक्स्ड डिपॉजिट पर लोन ले लीजिए"
"अरे भाई फिक्सड डिपॉजिट होता तो लोन क्यों लेता"
"तो ऐसा करिए कार लोन ले लीजिए"
"लेकिन मैं कार खड़ी कहाँ करूँगा और उसका तो interest भी इसका दुगना है"- दौडूराम परेशान हुए।
"अरे उसकी चिंता मत करिए 10 लाख का कार लोन ले कर कार लीजिए और उस कार को काउंटर नम्बर 4 वाले शुक्ला जी के पास गिरवी रख के उनसे 5 लाख ले लीजिएगा। फिर जब आपके पास पैसे हो जाए तो चुका दीजिएगा और कार ले जाइयेगा।"- कुटिल मुस्कान लिए लोन ऑफिसर ने समझाया। 
मरता क्या न करता। दौडूराम को सुझाव पसन्द आया। 
आज 5 साल हो गए हैं, दौडूराम का मकान रेडी है। नए वेतन आयोग के arrear से उन्होंने कर्ज चुका कर 5 सालो तक Ola Cab बनी हुई अपनी कार अंततः शुक्ला जी से छुड़वा ली है।

बैंक आपको सब दे देगा, बस वो नही जिसकी आप को जरूरत है।
--नीलेश मिश्रा


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