Search This Blog

Amendment in Law for Cruelty after Judgement passed by Supreme Court on 15.09.2018



दहेज उत्पीड़न कानून में किये गये बदलाव
आज 15 sep 2018 Supreme Court ने 2017 के राजेश शर्मा के मामले में संसोधन कर दिया गया है।

*पुराने कानून (2017)

1.परिवार कल्याण समिति हर जिले में होगी
2।धारा 498A के तहत मजिस्ट्रेट पुलिस को मिलने वाली शिकायत जांच के लिए समिति को भेजी जाएगी
3.समिति पक्षकारो से बातचीत करके एक महीने में report देगी
4.समिति की रिपोर्ट आने तक गिरफ्तारी नही होगी
5.समझौता होने की स्थिति में जिला एवं सत्र न्यायाधीश आपराधिक कार्यवाही समाप्त कर सकता है
6.दहेज के विवादित सामन बरामद ज होना जमानत को इनकार करने का आधार नही होगा

*नया कानून (2018)
1.अब पुलिस जरुरी और  पर्याप्त आधार होने पर ही गिरफ्तार करेगी।
2.आरोपित को अग्रिम जमानत(गिरफ्तारी के पहले ही दी जाने वाली जमानात) मिल सकेगी
3.कानून नक संतुलन कायम रखने के लिये आपराधिक प्रक्रिया निरस्त करने का भी प्रावधान है।
4.दहेज के विवादित समान की बरामदगी न होना जमानत को नकारने का आधार नही हो सकता है

Note- दहेज कानून के बारे में व Remedies के बारे में पिछले Article 498A Cruelty  में विस्तार से बताया गया है।

ऐसा निर्णय Court ने इसलिए दिया जिससे पीड़ित पक्ष क़ानून और सहानुभूति का लाभ लेकर दूसरे पक्ष को प्रताड़ित न कर पाए   
Court ने ये भी कहा कि पूर्व फैसले  में मामला दर्ज होने के बाद समझौते से मामला निपटने की व्यवस्था देना सही नही है।
 
 
Change in Old Article:
15 sept 2018 दहेज  कानून में  बदलाव

Cruelty(क्रूरता) क्या है- पत्नी के साथ उसके पति या पति के परिवार वालो द्वारा किया यह दुर्व्यवहार 

क्रूरता IPC की धारा 498 A को 1983   में जोड़ा गया था इसी के साथ भरतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 113A और दंड प्रक्रिया सहिंया की धारा 198A को भी जोड़ा गया था  इस अपराध को non bailable (जिनमे bail साधिकार नही मिलती )  और non compundable(जिनमे समझौते नही हो सकते पक्षकारो के मध्य) अपराध बनाया गया है जिसके अंतर्गत किसी स्त्री के पति या पति के रिश्तेदार(माता ,पिता,भाई, बहन) रिश्तेदारो में (by blood, by marriage )

 

क्रूरता का अर्थ में  शारीरिक व मानसिक दोनो  तरह की क्रूरता आतीं है। 


1. जानबूझकर (deliberately)कोई ऐसा कार्य जिसकी कारण स्त्री आत्महत्या के लिए मज़बूर हों जाये या  उससे दहेज की।मांग करना ,उसे ताने मरना उसके जीवन ,किसी अंग कों गंभीर खतरे की संभावना हो 

2. किसी स्त्री को इस दृष्टि से तंग करना कि उसको या उसके किसी रिश्तेदार को किसी संपत्ति या  मूल्यवान संपत्ति की मांग की जाए इसके लिए उससे तंग करना कि उसका कोई रिश्तेदार ऐसी मांग को पूरा क्यों नही

 किया

* दहेज हत्या के बारे में उपधारणा:-

Evidence act sec-113A कोर्ट ये मान कर चलती है यदि किसी महिला की विवाह के 7 साल के अंदर आत्म्यहत्या की  हो तो उसके पति व उसके पति के परिवार को दोषी माना जाता है जब एक वो अपने को निर्दोष न साबित कर दे 


*दहेज हत्या की शिकायत किसके द्वारा की जा सकती है:-

CrPC sec-198 A- महिला या उसके किसी भी रिश्ते दर द्वारा की जा सकती है।

इस कानून को संविधान के article 14 ,20(2) का अतिक्रमण करने के कारण असंवैधानिक है  .देहज प्रतिषेध अधिनियम 1961भी इन्ही मामलो स संबंधित था अतः एक ही विषय पे दो कानून मिलकर खतरे की स्थितियां पैदा कर देंगी परन्तु delhi highcourt ने इसे उलंघन न मानकर ये बताया की IPC 498A और दहेज प्रतिषेध अधिनियम में अंतर है क्योंकि इसमे दहेज की मांग करना ही दण्डनीय है क्रूरता होना आवश्यक नही है जबकि Ipc-498A में पत्नी व उसके रिश्तेदारो से ऐसे सम्पति  की मांग जो क्रूरता पूर्वक की गई हो

IPC 304 B- दहेज हत्या व IPC 498A- क्रूरता में अंतर 

304B- मृत्यु विवाह के 7 वर्ष के अंदर होने पे दण्डनीय है

498A-अपने आप मे एक अपराध है


Note- यदि कोई व्यक्ति 304B के तहत दोषमुक्त हो जाता है तो भी वह 498A क्रूरता के ली दोषसिद्ध किआ जा सकता है।


एक ओर कानून से महिलाओं को सुरक्षित वही दुसरी ओर अब इसका सहारा लेकर कई परिवारों को निर्दोष ही सजा भूकतनी पड़ती है को न सिर्फ शारीरिक बल्कि मानसिक रूप से भी प्रभवित करती है 

कानून के बढ़ते misuse को रोकने के लिए  
** पुराना कानून
2017 राजेश शर्मा के मामले  में किये गए कुछ amendment 

1. Police अब direct arrest नही कर सकतीं है।
2. हर जिले में एक 3 member वाली "Family welfare comitee "होगी जो 30 दिन में जाच को निपतायेगी
3. जब तक commitee की रिपोर्ट नही आती तब तक अभियुक्त को बाहर आने जाने से रोक नही जा सकता न ही उसका पासपोर्ट जब्त किया जाएगा 

2015 की रिपोर्ट के अनुसार 12 हजार 107 मामलो में 7458 मामले झुठे पाए गए 
** नया कानून

Supreme Court ने 2017 राजेश शर्मा में दिए फैसले  को 15 सितंबर 2018 को पलट दिया है। 

1-अब दहेज उत्पीड़न मामले में direct गिरफ्तारी की जा सकती है।
यदि पुलिस को उचित आधार हो
2. आरोपी को अग्रिम जमानत का भी अधिकार है
3.आपराधिक प्रक्रिया निरस्त करने का भी प्रवधान है
ये बदलाव इसलिए किया गया है क्योंकि जाच एजेंसीया के बार दिमाग का इस्तेमाल कियव बिना ही कारवाही कर बैठती है

Remidies( बचाव )

आप कैसे खुद को झूठे केस से बचा सकेते है 

1. यदि आपको ऐसा लगता है कि आप पर आपकी पत्नी द्वारा या आपके परिवार पे इस तरह के आरोप लगाए जा सकते है तो तुरंत आपको वकील से कानूनी सलाह लेनी चाहिए क्योंकि जितनी देर होगी उतना आपका बचाव कमजोर होता जाएगा

2. ऐसे मामले में कभी भी आप भागने का प्रयास बिल्कुल ही न करे आप केस या पुलिस से बचने के लिए फ़ौरन अग्रिम जमानत के लिए apply करे

3.अपने favour में साक्ष्य collect किजये चाहे वो जिस भी प्रकार हो वो कोई व्यक्ति ही हो जो आपके favour में गवाही दे यदि किस व्यक्ति आपके पास के रिश्तेदारी न हो तो और भी अच्छा होगा 


4. गवाह विश्वनीय ही चुनिये जो आपका लगे कि वो बाद में आपके खिलाफ न हो जाए क्योंकि आमतौर पे ऐसा कोर्ट में देखा जाता है कि गवाह कोर्ट में मुकर जाता है जिसको Horstile witness कहते है 

 

5.इस दौरान यदि पत्नी आपको मिलने के लिए कहे तो आप मिलने को avoid करे अकेले पत्नी या उसके परिवार के सदस्य स न मिले ये आपके लिए भारी पड़ सकता है..... यदि मिलना हो भी तो फिर कोर्ट के संज्ञान में इस बात को लाये और कोर्ट से एक special officier नियुक्त करवाये उसकी उपस्थिति में ही मिले


6.यदि आपको पत्नी की तरफ से या किसी अनजान नंबर से फ़ोन या धमकी मिलती ह तो फॉरन इसकी सूचना पुलिस को दीजिये ओर उसकी कॉपी बाद में आप कोर्ट में दिख भी सकते है

7. और जरूरत पड़े तो आप केस कर सकते है केस करने से न डरे क्योंकि हो सकता है बाद में आपको इससे ज्यादा नुकसान हो तो आप अपने को बचाने के लिए खुद ही केस करे 


निष्कर्ष: बचाव का इस्तेमाल वही लोग करे जिनको झूठे case में फसाया का सकता है ।

जैसा कि  हर सिक्के के दो पहलू होते है जिस तरह एक तरफ़ इस कानून के प्रति हो रहे दुरूपयोगो को रोका जा सकेगा वही दूसरी तरफ अपराधो पर रोकथाम को और भी मजबूत किया गया है।

Original Article By Advocate Suparna Mishra



 
Previous
Next Post »