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UP 68,500 Teacher Vacancy Under CBI Investigation : High Court Order

News Published in Dainik Jagran Lucknow Edition Dated 02.11.2018

शिक्षक भर्ती में गड़बड़ी की सीबीआइ जांच
 
योगी सरकार की पहली बड़ी भर्ती प्रकिया गंभीर सवालों के घेरे में आ गई है। इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने गुरुवार को सहायक शिक्षकों के 68 हजार 500 पदों पर भर्ती प्रकिया में सामने आए भ्रष्टाचार के मामलों पर कड़ा रुख अपनाया है। कोर्ट ने भर्ती प्रकिया की सीबीआइ जांच के आदेश दे दिए हैं। सीबीआइ निदेशक को छह महीने में जांच पूरी करने के भी निर्देश दिए गए हैं। कोर्ट ने 26 नवंबर को जांच की प्रगति रिपोर्ट भी तलब की है। कोर्ट ने कहा है यदि जांच में किसी अधिकारी की संलिप्तता सामने आती है तो सक्षम अधिकारी उसके खिलाफ कार्रवाई सुनिश्चित करें।1महाधिवक्ता राघवेंद्र सिंह ने कोर्ट को बताया था कि राज्य सरकार इस प्रकरण की जांच सीबीआइ से कराने के लिए कतई तैयार नहीं है। जांच का आदेश न्यायमूर्ति इरशाद अली की एकल सदस्यीय पीठ ने दर्जनों अभ्यर्थियों की याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई करते हुए दिया। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पाया था कि कुछ उत्तर पुस्तिकाओं के पहले पृष्ठ पर अंकित बार कोड अंदर के पृष्ठों से मेल नहीं खा रहे हैं। कोर्ट ने तब ही हैरानी जतायी थी कि लगता है उत्तर पुस्तिकाएं बदल दी गई हैं। इस पर महाधिवक्ता ने जांच का भरोसा दिया था। गुरुवार को सुनाए फैसले में जांच कमेटी के रवैये पर कोर्ट ने स्पष्ट कहा कि जिन अभ्यर्थियों को स्क्रूटनी में रखा गया था, उनके भी चयन पर अब तक निर्णय नहीं किया गया। कोर्ट ने कहा कि जांच कमेटी में दो सदस्य बेसिक शिक्षा विभाग के ही हैं जबकि दोनों को कमेटी में नहीं रखा जाना चाहिए था क्योंकि उसी विभाग के अधिकारी जांच के दायरे में हैं। 


सीबीआइ जांच के आदेश से सकते में सरकार
परिषदीय प्राथमिक स्कूलों में 68500 शिक्षकों की भर्ती की सीबीआइ जांच और 12460 शिक्षकों की भर्ती को रद करने के हाईकोर्ट के आदेशों ने राज्य सरकार के लिए मुश्किलें खड़ी कर दी हैं। योगी सरकार की अब तक की सबसे बड़ी भर्ती करार दी गई 68500 शिक्षकों की चयन प्रक्रिया की सीबीआइ जांच के आदेश से हुकूमत सकते में है। वहीं 12460 शिक्षकों की भर्ती को रद करने के आदेश ने सरकार के लिए कोढ़ में खाज का काम किया है। भर्तियों को लेकर सरकार की साख पर सवाल खड़े हो गए हैं। 1सीबीआइ जांच के कोर्ट के आदेश ने जहां नियुक्ति पा चुके अभ्यर्थियों में बेचैनी पैदा की है, वहीं भर्ती से जुड़े अफसरों की मुश्किलें बढ़नी भी तय है। कोर्ट के इस आदेश ने शिक्षकों की कमी दूर करने के लिए भर्तियों में जुटी सरकार को भी बैकफुट पर ला दिया है। रोजगार पर योगी सरकार का खासा फोकस रहा है और 68500 शिक्षकों की भर्ती के जरिये सरकार युवाओं को यही संदेश भी देना चाहती थी। इस भर्ती में चयनित कुछ अभ्यर्थियों को मुख्यमंत्री की ओर से नियुक्ति पत्र थमाये जाने के बाद ही भर्ती और उसके परीक्षा परिणाम की गड़बड़ियां उजागर होने लगीं। भर्ती की गड़बड़ियों को दूर करने के लिए सरकार की ओर से किये गए डैमेज कंट्रोल के उपाय अदालत को संतुष्ट नहीं कर पाए। 

               परिषदीय प्राथमिक स्कूलों में 68500 शिक्षकों की भर्ती की सीबीआइ जांच और 12460 शिक्षकों की भर्ती को रद करने के हाईकोर्ट के आदेशों ने राज्य सरकार के लिए मुश्किलें खड़ी कर दी हैं। योगी सरकार की अब तक की सबसे बड़ी भर्ती करार दी गई 68500 शिक्षकों की चयन प्रक्रिया की सीबीआइ जांच के आदेश से हुकूमत सकते में है। वहीं 12460 शिक्षकों की भर्ती को रद करने के आदेश ने सरकार के लिए कोढ़ में खाज का काम किया है। भर्तियों को लेकर सरकार की साख पर सवाल खड़े हो गए हैं। 1सीबीआइ जांच के कोर्ट के आदेश ने जहां नियुक्ति पा चुके अभ्यर्थियों में बेचैनी पैदा की है, वहीं भर्ती से जुड़े अफसरों की मुश्किलें बढ़नी भी तय है। कोर्ट के इस आदेश ने शिक्षकों की कमी दूर करने के लिए भर्तियों में जुटी सरकार को भी बैकफुट पर ला दिया है। रोजगार पर योगी सरकार का खासा फोकस रहा है और 68500 शिक्षकों की भर्ती के जरिये सरकार युवाओं को यही संदेश भी देना चाहती थी। इस भर्ती में चयनित कुछ अभ्यर्थियों को मुख्यमंत्री की ओर से नियुक्ति पत्र थमाये जाने के बाद ही भर्ती और उसके परीक्षा परिणाम की गड़बड़ियां उजागर होने लगीं। भर्ती की गड़बड़ियों को दूर करने के लिए सरकार की ओर से किये गए डैमेज कंट्रोल के उपाय अदालत को संतुष्ट नहीं कर पाए।

कोर्ट ने सीबीआइ निदेशक से 26 नवंबर को प्रगति रिपोर्ट तलब की .
प्रदेश सरकार सीबीआइ से जांच के लिए नहीं थी तैयार चूंकि महाधिवक्ता कह रहे हैं कि सरकार सीबीआइ जांच कराने के लिए तैयार नहीं है तो मजबूर होकर हम स्वयं सीबीआइ को इस पूरी चयन प्रक्रिया की जांच करने का आदेश देते हैं।1हाईकोर्टबांटे जा चुके हैं नियुक्ति पत्र168,500 शिक्षकों की लिखित भर्ती परीक्षा में चयनित 40 हजार से ज्यादा अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र बांटे जा चुके हैं। वहीं 12460 शिक्षकों की भर्ती में अब तक लगभग छह हजार लोगों को नियुक्ति पत्र दिये जा चुके हैं।1भर्ती प्रक्रिया प्रभावित नहीं1अपर मुख्य सचिव बेसिक शिक्षा डॉ.प्रभात कुमार ने बताया कि हाईकोर्ट के आदेशों से 68500 शिक्षकों के पहले चरण और दूसरे चरण की भर्ती प्रक्रिया प्रभावित नहीं हो रही है। हाईकोर्ट ने भर्ती की सीबीआइ जांच का आदेश दिया है, भर्ती को रोकने या स्थगित करने का नहीं। डॉ. कुमार ने बताया कि शिक्षक भर्ती की सरकार ने खुद ही जांच कराई।जनवरी को जारी हुआ था सहायक अध्यापक भर्ती शासनादेश 1अगस्त को जारी हुआ था लिखित परीक्षा का परिणाम


चुनौती देगी सरकार

परिषदीय प्राथमिक स्कूलों में 68500 शिक्षकों की भर्ती की सीबीआइ जांच कराने और 12460 प्राथमिक शिक्षकों की भर्ती रद करने के इलाहाबाद हाईकोर्ट की एकल पीठ के आदेशों को चुनौती देने के लिए राज्य सरकार डबल बेंच में विशेष अपील दाखिल करेगी। डबल बेंच से राहत न मिलने पर सरकार इन मामलों में सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने में भी नहीं हिचकेगी। अपर मुख्य सचिव बेसिक शिक्षा डॉ.प्रभात कुमार ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को हाईकोर्ट के आदेशों की जानकारी दी। मुख्यमंत्री ने दोनों भर्तियों के तहत नौकरी पा चुके अभ्यर्थियों के हितों को सुरक्षित रखने के हरसंभव उपाय करने का निर्देश दिया है।1

कोर्ट ने कहा, राजनीतिक उद्देश्य पूरा करने के लिए गैरकानूनी चयन1कोर्ट ने कहा कि कुटिल इरादे से राजनीतिक उद्देश्य पूरा करने के लिए बड़े पैमाने पर गैर कानूनी चयन किए गए जिससे नागरिकों के मौलिक अधिकारी बुरी तरह प्रभावित हुए। परीक्षा कराने वाले अधिकारियों ने अपने उम्मीदवारों को फायदा पहुंचाने के लिए अधिकारों का दुरुपयोग किया। जिन अभ्यर्थियों को लिखित परीक्षा में कम नंबर मिले, उन्हें अधिक नंबर दे दिए गए। कुछ अभ्यर्थियों की उत्तर पुस्तिकाएं फाड़ दी गईं और पन्ने बदल दिए गए ताकि उन्हें फेल घोषित किया जा सके।

12,460 सहायक शिक्षकों का चयन भी रद1इस बीच, इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने बोर्ड आफ बेसिक एजूकेशन द्वारा किए गए 12,460 सहायक बेसिक शिक्षकों के चयन को भी रद कर दिया है। इन भर्तियों के लिए प्रकिया पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के शासनकाल में 21 दिसंबर, 2016 को प्रारंभ की गई थी। कोर्ट ने कहा कि ये भर्तियां यूपी बेसिक एजूकेशन टीचर्स सर्विस रूल्स 1981 के नियमों के तहत नए सिरे से काउसिंलिग कराकर पूरी की जाए। चयन प्रकिया के लिए वही नियम लागू किए जाएंगे जो इनकी प्रकिया प्रारंभ करते समय बनाए गए थे। कोर्ट ने कहा कि सारी प्रकिया तीन माह के भीतर पूरी की जाए। यह आदेश जस्टिस इरशाद अली की बेंच ने दो दर्जन से अधिक याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई करते हुए दिया। इन याचिकाओं में 26 दिसंबर, 2012 के उस नोटिफिकेशन को रद करने की मांग की गई थी जिसके तहत उन जिलों जहां कोई रिक्ति नहीं थी, के अभ्यर्थियों को काउसिंलिंग के लिए किसी भी जिले को प्रथम वरीयता के लिए चुनने की छूट दी गई थी। याचियों की ओर से वरिष्ठ वकील जेएन माथुर की दलील थी कि यह बदलाव भर्ती प्रकिया प्रारंभ होने के बाद किए गए थे जबकि नियमानुसार एक बार भर्ती प्रकिया प्रारंभ हो गई तो उसे बीच में परिवर्तित नहीं किया जा सकता। ध्यान रहे, कोर्ट ने 19 अप्रैल, 2018 को एक अंतरिम आदेश जारी कर पहले ही सफल अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र देने पर रोक लगा दी थी। 1


 
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Unknown
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15 November 2018 at 01:39 delete

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