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लघु लेख- मासूम बच्चे: Original Contents by #SarkaariAdmi

This is a collection of Original Creation by Nilesh Mishra

लघु लेख: मासूम बच्चे
उस दिन गुड्डू की सगाई थी। काफी जतन के बाद घर वालों ने शादी फिक्स करवाई थी। गुड्डू कुर्सी पर बैठे रिंग सेरेमनी का इंतेज़ार कर रहे थे। गुड्डू काफी उदारवादी इंसान थे। बच्चों से अच्छे से घुले मिले रहते थे और उनकी शैतानियां उसे काफी पसंद थीं। पर उस दिन मामा का लड़का बार बार उन्हें परेशान किए जा रहा था। उसने सगाई समारोह स्थल को अपना प्लेग्राउंड बना रखा था और गुड्डू को खिलौना। बार बार कभी उसको टीप मार के भाग जाए कभी बाल खींच के। अब बेचारा गुड्डू करे तो क्या करे, काफी बार प्यार से समझाने की नाकाम कोशिश की कि बेटा ये खेल बाद में, यहां नहीं। लेकिन वो कहावत है न कि मर्ज बढ़ता गया ज्यों ज्यों दवा की। वो और तरीकों से परेशान करने लगा। गुड्डू मुस्कुराते हुए खीजता रह जा रहा था। अब 8 साल के बच्चे को पब्लिकली डांट-मार दे तो भी थू थू गुड्डू की ही होनी थी। ससुराल वालों के सामने बेज्जती होने का डर सो अलग। मामा को बुला के बोला भी तो मामा हंसी में टाल गए। "अरे यार बच्चा है, खुश हो रहा है तुम्हारे लिए, इसीलिए दुलरा रहा है।" बड़ी ही खूबसूरती से मामा जी ने अपने लड़के की शैतानी को उसकी मासूमियत बता गुड्डू का पक्ष खारिज कर दिया। कुछ देर बाद मामा के लड़के की देखा देखी और बच्चे आ गए गुड्डू को परेशान करने। गुड्डू का पारा चढ़ गया और खींच के दे दिया मामा के लड़के को एक। सारे बच्चे शांत पड़ गए। बच्चे के घरवाले आ गए लड़ने। किसी तरह मामला शांत हुआ और सगाई कार्यक्रम संपन्न हुआ।
आज सुबह से गुड्डू के पापा गुड्डू को गरियाए जा रहे हैं और सामने न्यूज चैनल पर एक प्रसिद्ध विश्वविद्यालय में घुस कर पुलिस द्वारा छात्रों की पिटाई का वीडियो चल रहा है।
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सरकारी आदमी

08.03.2020

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