फलाने श्रीवास्तव की पान की दुकान कुछ खास नही चली इसलिए वकालत की डिग्री लेकर वकालत की दुनिया मे नाम कमाने को चल दिये। लेकिन ये डगर इतनी आसान नही थी औऱ सिर्फ भौकाल मारने से तो वकालत चलती नही। अलबत्ता वकील "साहब" - इस सम्बोधन के मोह के चलते फलाने बाबू को वकालत नही छोड़ पाए भलबे से मुंशी लोग उनसे ज्यादा पैसे झाड़ के ले जाते थे। कालान्तर में हुआ यूं कि रोजी नाम की कन्या औऱ रोटी नामक युवक के प्रेम प्रसंग को उनके घरवालो ने स्वीकार करते हुए Arrange Marriage का प्रोग्राम बनाया। बस थोड़ा लड़के की जमीन जायदाद पक्की है या नही ये दिखवाने के लिए फलाने बाबू से सम्पर्क किया गया। सदियों से सूखे पड़े Client Well (कुंआ) में मानो पानी आ गया । फलाने बाबू ने घरवालो को भड़का दिया कि जमीन पक्की नही है। रिश्ता तोड़ दिया गया। इधर भैया जी ने रोजी रोटी को उनके घर वालो के खिलाफ भड़का के Court Marriage करने के लिए मना लिया। औऱ घरवालो के कहर से बचाने के लिए हाई कोर्ट से Couple Protection भी दिलवा दिया। "माना कि तुम लोगो के 2 लाख से ज्यादा खर्च हो गए, लेकिन सोचो शादी बियाह में 5 -6 लाख तो ऐसे ही खर्च हो जाते है।" कहकर दोनों को अपना पक्का Client बना लिया।
ये पैसा कुछ दिन तक तो भैया जी की आंखों पे Ray Ban का चश्मा लगाए रहा लेकिन कुछ दिनों बाद फिर तंगी आ गई। फिर से उन्हें रोजी रोटी की याद आई और चल पड़े हालचाल लेंने। 2-3 दिन की मुलाकात में दोनों मियां बीवी को एक दूसरे के खिलाफ भड़का के ये साबित कर दिए कि उन दोनों का विवाह का निर्णय गलत था। बात तलाक पे पहुंची। पहले कोर्ट ने 6 महीने तक Mediation Centre में फलाने बाबू की सहायता से आपसी सुलह करने का आदेश दिया। खैर भैया जी के रहते तो ये वैसे भी possible नही था। अंततः तलाक हुआ और रोटी को रोजी को Alimony देने का आदेश प्राप्त हुआ। फिर वो फलाने बाबू के पास पहुंचे, फलाने बाबू ने वकीलों के तमाम हथकंडे अपनाए यथा गुजारा भत्ता देने के खिलाफ एक पक्ष से रिवीजन याचिका दायर करके stay ले लिया तो दूसरे पक्ष से गुजारा भत्ते के आदेश पर stay के विरुद्ध अपील दायर कर दी। जब दोनों पक्षकरो के पास पैसे कम पड़ने लगे तो परिवार से लड़ाई करवाके जमीन जायदाद में हिस्सा लिवा के उस पे कर्जा दिला के उनका केस लड़वाया। 10 रुपये की लैय्या चना भी फलाने बाबू Client के पैसे उगाही करके खाने लगे। 20 साल तक यही चला । रोजी रोटी की रोजी रोटी का कोई ठिकाना न रहा। इस दौरान उन दोनो की जमीन जायदाद भी भईया जी ने अपने नाम लिखा ली। फिर भइया जी को कोई नया शिकार मिल गया तो Finally उनदोनो के केस को आपस मे समझौता करवा के खत्म करवा दिया।
कोर्ट से बाहर निकलने पर दोनों बुढ़ापे की पहली सीढ़ी पे खड़े ex मियां बीवी ने एक दूसरे को फ़टे हाल में देखा और सामने से Honda City में काला शीशा चढ़ाए फलाने श्रीवास्तव को जाते हुए देख कर खुद के ऊपर हंसने लगे। दोनों ने एक दूसरे का हाथ थामा और माननीय न्यायालय को साक्षी मानकर तलाकशुदा होकर साथ रहने का फैसला किया।
ये पैसा कुछ दिन तक तो भैया जी की आंखों पे Ray Ban का चश्मा लगाए रहा लेकिन कुछ दिनों बाद फिर तंगी आ गई। फिर से उन्हें रोजी रोटी की याद आई और चल पड़े हालचाल लेंने। 2-3 दिन की मुलाकात में दोनों मियां बीवी को एक दूसरे के खिलाफ भड़का के ये साबित कर दिए कि उन दोनों का विवाह का निर्णय गलत था। बात तलाक पे पहुंची। पहले कोर्ट ने 6 महीने तक Mediation Centre में फलाने बाबू की सहायता से आपसी सुलह करने का आदेश दिया। खैर भैया जी के रहते तो ये वैसे भी possible नही था। अंततः तलाक हुआ और रोटी को रोजी को Alimony देने का आदेश प्राप्त हुआ। फिर वो फलाने बाबू के पास पहुंचे, फलाने बाबू ने वकीलों के तमाम हथकंडे अपनाए यथा गुजारा भत्ता देने के खिलाफ एक पक्ष से रिवीजन याचिका दायर करके stay ले लिया तो दूसरे पक्ष से गुजारा भत्ते के आदेश पर stay के विरुद्ध अपील दायर कर दी। जब दोनों पक्षकरो के पास पैसे कम पड़ने लगे तो परिवार से लड़ाई करवाके जमीन जायदाद में हिस्सा लिवा के उस पे कर्जा दिला के उनका केस लड़वाया। 10 रुपये की लैय्या चना भी फलाने बाबू Client के पैसे उगाही करके खाने लगे। 20 साल तक यही चला । रोजी रोटी की रोजी रोटी का कोई ठिकाना न रहा। इस दौरान उन दोनो की जमीन जायदाद भी भईया जी ने अपने नाम लिखा ली। फिर भइया जी को कोई नया शिकार मिल गया तो Finally उनदोनो के केस को आपस मे समझौता करवा के खत्म करवा दिया।
कोर्ट से बाहर निकलने पर दोनों बुढ़ापे की पहली सीढ़ी पे खड़े ex मियां बीवी ने एक दूसरे को फ़टे हाल में देखा और सामने से Honda City में काला शीशा चढ़ाए फलाने श्रीवास्तव को जाते हुए देख कर खुद के ऊपर हंसने लगे। दोनों ने एक दूसरे का हाथ थामा और माननीय न्यायालय को साक्षी मानकर तलाकशुदा होकर साथ रहने का फैसला किया।
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