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Original Stories By Author (48): The Famous Tuntun Ji

This is a collection of Original Creation by Nilesh Mishra


कहानी 48:
किसी देश के पुलिस विभाग में एक उच्चाधिकारी थे। उनके अंडर में 10-15 कोतवाल थे लेकिन साहब को टुनटुन जी बहुत पसंद थे। हमेशा उन्हें मनचाही पोस्टिंग मिलती रहती थी। खैर इस बात से बाकी लोग बहुत चिढ़े रहते थे क्योंकि टुनटुन जी को कोई केस दिया नही जाता था, मुठभेड़ के समय उनकी छुट्टी ग्रांट हो जाती थी और चुनाव के समय मेडिकल फॉरवर्ड हो जाती थी। जहा बाकी लोगो का काम कर कर के तेल निकला जा रहा था वहीं टुनटुन जी का पेट। हद तो तब हो गई जब APR में Outstanding देकर आउट ऑफ टर्न प्रोमोशन के लिये साहब ने उनकी फ़ाइल भी आगे बढ़ा दी। आखिरकार सभी एक दिन इकट्ठा हो के साहब के पास शिकायत ले के पहुंच गए कि भाई हम ऐसा क्या नही कर सकते जो टुनटुन जी आपके इतने खास हो गए हैं। साहब चेहरे पर बुद्ध मुस्कान लिये हुए बोले की ठीक है, तुम सभी को मैं तीन टारगेट देता हूँ, पूरा कर लो तो तुम्हारा नाम भेज दूंगा। सब तैयार हो गए।
"जाओ 1 घण्टे में 1 करोड़ रुपये ले आओ"
रकम बड़ी नही थी लेकिन समय काफी कम था। सबने एड़ी चोटी का जोर लगा के पैसे का इंतेजाम किया लेकिन रास्ते मे कोई पैसा पार कर दिया। सब मुँह लटका के चले आये।
"चलो 1 घण्टे में उस चोर को पकड़ के लाओ जिसने तुम्हारा पैसा पार किया"
सारा cctv खंगालने के बाद भी कोई सुराग नही मिला तो फिर सब खाली हाथ लौट आये।
"हम्म ये तो बहुत गम की बात है, चलो गम मिटाने के लिए Liebfraumilch wine की बोतल ले आओ।"
पता चला ये जर्मन ब्रांड उस देश मे कहीं नही मिलता था। सो इस बार सबने पहले ही हथियार डाल दिये।
की तभी टुनटुन जी का आगमन हुआ जो आते ही साहब को दण्डवत प्रणाम करते हुए बोले
"साहब ये लीजिये आपकी मनपसन्द Liebfraumilch wine, ब्रिगेडियर साहब से कह के खास आपके लिए लाया हूँ और ये चोर एक करोड़ रुपये ले कर भाग रहा था, सोचा इसे पकड़ कर पहले आपके सुपुर्द कर दूं।"
साहब ने मन्द मन्द मुस्काते हुए बाकियों को देखा। सब अपना सा मुँह लेकर चलते बने। उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हो चुकी थी।
--नीलेश मिश्रा
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