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Original Stories By Author (82): ठंडा बस्ता

This is a collection of Original Creation by Nilesh Mishra


कहानी 82: ठंडा बस्ता

किसी समय की बात है, कैबिनेट ने Decide किया कि Indian System को दुरुस्त करने के लिए विकसित देशों से सीख ली जाए और वहां की अच्छी व्यवस्था को अपने यहां लागू किया जाए । बस फिर क्या था, रामपुर, आज़मगढ़, मैनपुरी व इटावा के जनप्रतिनिधियों और कुछ प्रशासनिक अधिकारियों का प्रतिनिधि मण्डल गठित किया गया और भारत की संचित निधि से व्यय पर, इस दल को G-8 के विकसित देशों के भृमण पर भेज दिया गया। 
प्रतिनिधि मंडल ने इन देशों की व्यवस्था का अध्ययन किया और पाया कि इन देशों में शिक्षा, उच्च शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाओं और वैज्ञानिक अनुसंधान केंद्रों का आधारभूत ढांचा इतना मजबूत, व्यापक और प्रचुर मात्रा में है कि यहां के निवासियों को इन चीजों को पाने के लिए लाखों करोड़ों लोगो से Fight नही करना पड़ता है। CCTV सर्विलांस इतना व्यापक है कि हर 10 वर्ग किमी क्षेत्रफल को एक पुलिस वाला मॉनिटर करता है और किसी भी अप्रिय घटना की स्थिति में Trained Police Force जिसके बन्दूक जाम नही होते, तुरंत घटना स्थल पर पहुंच कर बिना किसी रौब दबाव में आए पकड़ लेती है और न्याय व्यवस्था इतनी चुस्त है कि अपराधियों को सजा देने में 1 साल से अधिक कभी नही लगता। जमीन विवाद, मुआवजा, सब्सिडी, लोन देने इत्यादि कार्यो में Authorities का Sole Discretion कम और Rule of Law ज्यादा चलता है।
1 साल के अध्ययन के बाद प्रतिनिधि मंडल ने अपनी आख्या (Report) submit की जिसके अनुसार ये व्यवस्थाएं भारतीय सन्दर्भ में लागू करने योग्य नहीं हैं क्योंकि 
1. मजाक मजाक में पैसा बहुत खर्च हो जाएगा तो हम जनप्रतिनिधियों और प्रशासन वालों का क्या होगा
2. अगर पब्लिक को सारी सुविधाएं आसानी से मिलने लग जाऐंगी और वो सही से Educated हो जाएगी तो हम चुनाव किन मुद्दों पे लड़ेंगे और राज किस पर करेंगे।
उक्त बिंदुओं के मद्देनजर आख्या और अनुमोदन स्वीकृत कर लिया गया और इस Visit के व्यय को 10 गुना ज्यादा दिखा कर पैसा आपस मे बांट लिया गया।
10 साल बाद:
"साहब ये ठंडे बस्ते वाली अलमारी में कोई report रखी है, इसे Weed Out सेंटर में भेज दिया जाए?"
"अबे और क्या, अभी तक पड़ी कैसे रह गई।"

-- 
नीलेश मिश्रा






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