This is a collection of Original Creation by Nilesh Mishra
कहानी 33:
एक बार अंग्रेज़ो वाले स्वर्ग मे विराजमान मैडम पामेला हिक्स सुपुत्री श्री माउण्टबेटन ने अपने पिता जी से पूछा की "हे तातश्री! इंडिया मे इस समय क्या हो रहा होगा, आज काफी याद आ रही है दिल्ली की । " अब पिता जी ठहरे पूर्व
वायसराय, सो ताजा स्थिति का पता लगाने के लिए पूर्व गवर्नर जेनेरलों व वायसरायों यथा लार्ड वेलेजली, डलहौजी, मिंटो, चेम्सफोर्ड और विलिंगडन की कमेटी बना के धरती लोक भेजा। 3 साल के अध्ययन के पश्चात कमेटी खुश होकर
ने अपनी रिपोर्ट सौपी जिसमे उन्होने बताया की कुछ खास नहीं बदला है। सांप्रदायिक और जातिगत निर्वाचन की पद्धति कागजो मे भले बदल गई है लेकिन है काम वही कर रही है जैसा हमने चाहा था। गरीबी का प्रतिशत कम देखा गया
लेकिन गरीबी तो जस की तस है। तमाम कानून, आईपीसी, सीआर॰पी॰सी॰, इंडियन एविडेन्स एक्ट इत्यादि सब तो हमारे द्वारा बनाया हुआ ही उपयोग मे हो रहा है । थोड़ा बहुत अंतर प्रशासनिक सेवाओ मे यही दिखा की इनमे गोरे नहीं
है बाकी कार्यप्रणाली, जनता और अधीनस्थ कर्मचारियो का शोषण, आभिजात वर्ग को जानबूझ के लाभ पाहुचना और शक्तियों का केन्द्रीयकरण, भ्रष्टाचार इत्यादि सब कुछ वैसा ही पाया गया । न्याय प्रणाली भी उसी उद्देश्य की पूर्ति मे
संलग्न पाई गई जिसके लिए हमने उसे बनाया था । हालांकि विज्ञान उद्योग इत्यादि मे वैश्विक क्रांति के कारण ये देश भी लाभान्वित हुआ है लेकिन जैसा की हमने हमेशा से चाहा था "गुलाम मानसिकता" वो आज भी वैसी की वैसी है ।
और सबसे बड़ी बात जो काम हम भी नहीं कर पाये वो भी देखा - फिर वो तत्कालीन राष्ट्रिय पार्टी की गति हो या तत्कालीन क्रांतिकारियों और राष्ट्रिय आंदोलन मे भाग लेने वाले व्यक्तियों की आलोचना। यह सुन कर मैडम पामेला हिक्स
काफी दुखी हुई और रिपोर्ट के बारे मे भारतीय स्वर्ग मे विराजमान आंदोलनकरियों को सूचना प्रेषित कर उनकी टिप्पणी की आकांक्षा की।
वायसराय, सो ताजा स्थिति का पता लगाने के लिए पूर्व गवर्नर जेनेरलों व वायसरायों यथा लार्ड वेलेजली, डलहौजी, मिंटो, चेम्सफोर्ड और विलिंगडन की कमेटी बना के धरती लोक भेजा। 3 साल के अध्ययन के पश्चात कमेटी खुश होकर
ने अपनी रिपोर्ट सौपी जिसमे उन्होने बताया की कुछ खास नहीं बदला है। सांप्रदायिक और जातिगत निर्वाचन की पद्धति कागजो मे भले बदल गई है लेकिन है काम वही कर रही है जैसा हमने चाहा था। गरीबी का प्रतिशत कम देखा गया
लेकिन गरीबी तो जस की तस है। तमाम कानून, आईपीसी, सीआर॰पी॰सी॰, इंडियन एविडेन्स एक्ट इत्यादि सब तो हमारे द्वारा बनाया हुआ ही उपयोग मे हो रहा है । थोड़ा बहुत अंतर प्रशासनिक सेवाओ मे यही दिखा की इनमे गोरे नहीं
है बाकी कार्यप्रणाली, जनता और अधीनस्थ कर्मचारियो का शोषण, आभिजात वर्ग को जानबूझ के लाभ पाहुचना और शक्तियों का केन्द्रीयकरण, भ्रष्टाचार इत्यादि सब कुछ वैसा ही पाया गया । न्याय प्रणाली भी उसी उद्देश्य की पूर्ति मे
संलग्न पाई गई जिसके लिए हमने उसे बनाया था । हालांकि विज्ञान उद्योग इत्यादि मे वैश्विक क्रांति के कारण ये देश भी लाभान्वित हुआ है लेकिन जैसा की हमने हमेशा से चाहा था "गुलाम मानसिकता" वो आज भी वैसी की वैसी है ।
और सबसे बड़ी बात जो काम हम भी नहीं कर पाये वो भी देखा - फिर वो तत्कालीन राष्ट्रिय पार्टी की गति हो या तत्कालीन क्रांतिकारियों और राष्ट्रिय आंदोलन मे भाग लेने वाले व्यक्तियों की आलोचना। यह सुन कर मैडम पामेला हिक्स
काफी दुखी हुई और रिपोर्ट के बारे मे भारतीय स्वर्ग मे विराजमान आंदोलनकरियों को सूचना प्रेषित कर उनकी टिप्पणी की आकांक्षा की।
2 दिन बाद टिप्पणी सहित ईमेल आया - "भई हमारी भाग दौड़ मे कोई कमी हो तो बताइये" ।
--Nilesh Mishra
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कहानी 34:
बात वर्ष 2020 की है जब तमाम आलोचनाओं और नाराजगियों के बावजूद या तो लहर या कथित रूप से कुछ इलेक्ट्रॉनिक अभियांत्रिकी के किसी अनुप्रयोग के कारण पुनः उसी विचारधारा की सरकार का गठन हो गया। और आते ही नई सरकार ने नौकरशाही में अपने पुरानी नीति - 'निजी क्षेत्र के पेशेवरों को लाना' को अमली जामा पहनाना शुरू किया जिसके अंतर्गत किसी विभाग में पहली बार निजी क्षेत्र की अतिप्रतिष्ठित कम्पनियो के बॉस को सरकारी विभाग का अधिकारी बना के भेजा गया। उन्ही महान रूपांतरित अधिकारियों में से एक थे श्रीमान
सस्पेंशन पांडेय जी जो एक कड़क बॉस रहे थे और जिन्होंने 1 साल के अंदर 30000 निजी कर्मचारियों को बाहर करने का कीर्तिमान स्थापित किया था।
खैर अब इनकी दूसरी पारी की शुरुआत हो चुकी थी। बाबा दादा के जमाने से चापलूसी की विद्या में प्रवीण ज्येष्ठ कर्मचारियों ने जमकर माहौल बनाया की नया अधिकारी बहूत कठोर है। परंतु दो तीन New Joining वालो को छोड़ कर किसी को फर्क नही पड़ा। पांडेय जी ने सबको टाइट करने के लिए 2 घंटे में मीटिंग बुलाई तो 80% लोगों के घरों में मरम्मत का काम निकल आया। आग बबूला पांडेय जी ने अगले ही दिन Exact 9.30 पर सारे कार्यालय का विजिट लिया और 60% कर्मचारियों को अनुपस्थित पाया । फिर क्या था, सब को कारण बताओ नोटिस जारी हो गया। अगले ही दिन उन सभी कर्मचारियों के पीलिया, टायफायड, एड्स इत्यादि महामारियों के मेडिकल सर्टिफिकेट आ गए। आधे से ज्यादा स्टाफ न होने से काम चरमरा गया , वो अलग बात है कि वो होते तो भी चरमराता ही। पांडेय जी ने सबको घुड़की दी कि किसी प्रकार की कम्प्लेन उनतक नही पहुंचनी चाहिए, अपनी क्षमता से दुगुना काम करिये, मैं Incentive दूंगा। तभी किसी ने हल्की सी आवाज में कहा " 15 रुपये घंटे " । रूल बुक चेक हुई तो पता चला इतना ही बनता है। लेकिन पांडेय जी कड़क अधिकारी थे, बचे हुए आधे से ज्यादा स्टाफ को पब्लिक कम्प्लेन आने पर सस्पेंड कर दिए। ये देख कर उनके चहेते कर्मचारी भी इधर उधर कट लिए। ऑफिस में कोई बचा नही तो महोदय की ऊपर तक शिकायत हो गई। अब कोई और बात नही मिली, तो HP के नए प्रिंटर की Cartridge बिना टेंडर , बिना परमिशन अमीनाबाद के दुकानदार से भरवाने के कारण श्रीमान सस्पेंशन पांडेय खुद सस्पेंड हो गए।
बहरहाल इस बार की कहानी का दुखांत नही हुआ और पांडेय जी ने पुरानी कम्पनी पुनः जॉइन कर ली लेकिन अब वो अपने उन कर्मचारियों का सम्मान करते है जिन्हें कभी उन्होंने Human Resource से ज्यादा कुछ नही समझा था।
सस्पेंशन पांडेय जी जो एक कड़क बॉस रहे थे और जिन्होंने 1 साल के अंदर 30000 निजी कर्मचारियों को बाहर करने का कीर्तिमान स्थापित किया था।
खैर अब इनकी दूसरी पारी की शुरुआत हो चुकी थी। बाबा दादा के जमाने से चापलूसी की विद्या में प्रवीण ज्येष्ठ कर्मचारियों ने जमकर माहौल बनाया की नया अधिकारी बहूत कठोर है। परंतु दो तीन New Joining वालो को छोड़ कर किसी को फर्क नही पड़ा। पांडेय जी ने सबको टाइट करने के लिए 2 घंटे में मीटिंग बुलाई तो 80% लोगों के घरों में मरम्मत का काम निकल आया। आग बबूला पांडेय जी ने अगले ही दिन Exact 9.30 पर सारे कार्यालय का विजिट लिया और 60% कर्मचारियों को अनुपस्थित पाया । फिर क्या था, सब को कारण बताओ नोटिस जारी हो गया। अगले ही दिन उन सभी कर्मचारियों के पीलिया, टायफायड, एड्स इत्यादि महामारियों के मेडिकल सर्टिफिकेट आ गए। आधे से ज्यादा स्टाफ न होने से काम चरमरा गया , वो अलग बात है कि वो होते तो भी चरमराता ही। पांडेय जी ने सबको घुड़की दी कि किसी प्रकार की कम्प्लेन उनतक नही पहुंचनी चाहिए, अपनी क्षमता से दुगुना काम करिये, मैं Incentive दूंगा। तभी किसी ने हल्की सी आवाज में कहा " 15 रुपये घंटे " । रूल बुक चेक हुई तो पता चला इतना ही बनता है। लेकिन पांडेय जी कड़क अधिकारी थे, बचे हुए आधे से ज्यादा स्टाफ को पब्लिक कम्प्लेन आने पर सस्पेंड कर दिए। ये देख कर उनके चहेते कर्मचारी भी इधर उधर कट लिए। ऑफिस में कोई बचा नही तो महोदय की ऊपर तक शिकायत हो गई। अब कोई और बात नही मिली, तो HP के नए प्रिंटर की Cartridge बिना टेंडर , बिना परमिशन अमीनाबाद के दुकानदार से भरवाने के कारण श्रीमान सस्पेंशन पांडेय खुद सस्पेंड हो गए।
बहरहाल इस बार की कहानी का दुखांत नही हुआ और पांडेय जी ने पुरानी कम्पनी पुनः जॉइन कर ली लेकिन अब वो अपने उन कर्मचारियों का सम्मान करते है जिन्हें कभी उन्होंने Human Resource से ज्यादा कुछ नही समझा था।
--नीलेश मिश्रा
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