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Original Stories by Nilesh Mishra (100): Thappad

This is a collection of Original Creation by Nilesh Mishra

कहानी 100: थप्पड़

श्रीमान जी और श्रीमती जी फ़िल्म 'थप्पड़' देख कर आए। श्रीमती जी तापसी पन्नू के किरदार से इतनी प्रभावित हुईं कि उन्होंने उन दुखों और अत्याचारों की काल्पनिक दुनिया गढ़ ली जिनका उनके जीवन से दूर दूर तक कोई वास्ता न था। फिर उन्होंने समस्त नारी जाति को इन दुखों और अत्याचारों से मुक्त कराने की ठान ली। 
जिस प्रकार सरकार जब भी कोई नई स्कीम लांच करती है तो उसका खामियाज़ा आम जनता को भुगतना पड़ता है ठीक उसी प्रकार शादी शुदा महिलाओं के किसी भी क्रांतिकारी कदम का बम उनके पतियों पर ही फूटता है। एक दिन सुबह सुबह श्रीमान जी को ऑफिस जाने के लिए लेट हो रहा था इसलिए चाय चढ़ाकर कपड़े प्रेस करने जाने लगे और विनम्रता पूर्वक आधे घण्टे से The Hindu का Editorial पढ़ रही श्रीमती जी से 5 मिनट में गैस बुझा देने का आग्रह कर दिया। इतना सुनते ही श्रीमती जी के जेहन में 1200 ईसा पूर्व से 21 वी सदी तक पितृ सत्तात्मक समाज द्वारा महिलाओं को इसी प्रकार दबाए जाने की यादें ताजा हो उठीं और उन्होंने अखबार अलग फेंकते हुए श्रीमान जी के श्रीमुख पर चटा चट दो थप्पड़ जड़ दिए। श्रीमान जी सहम गए। न उन्हें समझ आया न पूछने की हिम्मत पड़ी। लेकिन फ़िल्म तो वो भी देख के आये थे। 
तड़के पहुंचे वकील साहब के पास। मामला सुनकर वकील साहब का हंसते हंसते पेट फूल गया। 
"अबे घोंचू, चल मान भी लूँ कि तेरा केस मैं कोर्ट में फाइल कर दूंगा, पर यार पूरी वकील बिरादरी में मेरी जो हंसी उड़ेगी उसका हर्जाना कौन देगा।"
श्रीमान जी निराश हुए। दोस्तों से चर्चा करके दिल हल्का करने की कोशिश की तो दोस्त अलग ट्रोल करने लगे। मर्दानगी पर सवाल उठाने लगे "साले बीवी से मार खा के आ गया। थू है तुझ पर"। भले ही खुद की बीवी के सामने बोलती बंद हो जाए, पर बीवी से पिट के आया दोस्त राहुल बाबा से भी ज्यादा बड़ा मजाक मटेरियल होता है। 
पर श्रीमान जी अपने निर्णय पर अटल थे। अतः कोर्ट में तलाक के लिए In-Person suit फ़ाइल कर दिया। सुनवाई प्रारंभ हुई। 
जज साहब ने तिलमिलाते हुए पूछा - "तुम दो थप्पड़ के चक्कर में तलाक लेना चाहते हो? दिमाग ठिकाने है तुम्हारे। यहां अदालत में करोड़ों सीरियस मुकदमे पेंडिंग हैं, और तुम ये आण्डु पाण्डु केस फाइल करके अदालत का वक्त जाया करने आये हो।"
श्रीमान जी ने अपना बचाव किया- "माय लार्ड, बात सिर्फ दो थप्पड़ों की नहीं है। इन दो थप्पड़ों ने मुझे वो तस्वीर साफ साफ दिखा दी जो मैं काफी दिनों से नहीं देख पा रहा था।"
"ऐसा क्या देख लिया तुमने" - आश्चर्य चकित जज साहब ने पूछा। 
श्रीमान जी बोल पड़े - "आज इसने थप्पड़ मारा है। कल को झाड़ू , बेलन और बन्दूक से भी मारेगी। फिर गलती से मैंने इसे कुछ कह दिया या बचाव में इसका हाथ पकड़ा तो ये मेरे ऊपर घरेलू हिंसा या दहेज प्रताड़ना का आरोप लगा देगी। मैं जिंदगी भर जेल में सडूँगा और ये मुझसे इस बिना पर तलाक हासिल कर मेरी आधी सम्पत्ति की मालकिन बन बाहर मौज काटेगी। और ये मैं सहन नही कर सकता। अतः आप से विनम्र निवेदन है कि मुझे पत्नी द्वारा घरेलू हिंसा से प्रताड़ित मानते हुए बिना किसी compensation के श्रीमती जी से मेरा तलाक स्वीकृत करने की कृपा करें।"
"ये बहुत बड़ा बक** है, इसे पत्नी के साथ ही बलपूर्वक रहने दिया जाये। यही इसकी सजा है" - पीछे से किसी ने टिप्पणी की।
और जज साहब ने हंसते हुए मुकदमा खारिज कर दिया। 

-
नीलेश मिश्रा






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